Saturday, October 29, 2016

बाऱ- बार दुख और संकट आने पर भी जो इंसान अपना रंग नहीं बदलता,समाज में उसका ही मूल्य बढ़ता है

*दूध को दुखी करो तो दही बनता है|*
*दही को सताने से मक्खन बनता है|*
*मक्खन को सताने से घी बनता है|*
*दूध से महंगा दही है,दही से महंगा मक्खन है,और मक्खन से महंगा घी है|*
*किन्तु इन चारों का रंग एक ही है सफेद|*

*इसका अर्थ है बाऱ- बार दुख और संकट आने पर भी जो इंसान अपना रंग नहीं बदलता,समाज में उसका ही मूल्य बढ़ता है|*

*दूध* उपयोगी है किंतु एक ही दिन के लिए, फिर वो *खराब* हो जाता है....!!
*दूध* में एक बूंद *छाछ* डालने से वह *दही* बन जाता है जो केवल दो और दिन *टिकता* है....!!
*दही* का मंथन करने पर *मक्खन* बन जाती है, यह और तीन दिन टिकता है....!!
*मक्खन* को उबालकर *घी* बनता है, *घी* कभी खराब नहीं होता....!!
एक ही दिन में बिगड़ने वाले *दूध* में कभी नहीं बिगड़ने वाला *घी* छिपा है....!!
इसी तरह आपका मनको  भी सकारात्मक विचारो से  अपने मनको  मथो 

अर्थात चिंतन  करो. अपने *जीवन* को और *तपाओ* 

और तब देखना कि आपका जीवन बदल जयेगा 

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